Thursday, September 14, 2006

गिरिराज जोशी "कविराज"


लेखक का जन्म राजस्थान के नागौर जनपद में हुआ। प्राथमिक शिक्षा-दीक्षा भी वहीं पर हुयी। बचपन से ही हिन्दी साहित्य में रूचि थी मगर वातावरण अनुकूल नहीं होने के कारण लिखने में असमर्थ रहे। अधिस्नातक की शिक्षा प्राप्त करने हेतु दो वर्ष गंगानगर रहे। वहाँ हॉस्टल में अलग-अलग प्रान्त से आए छात्रों से विभिन्न संस्कृतियों को जानने का अवसर मिला और अनुकूल वातावरण भी। शरबजीतसिंह "काका" जैसे कवि मित्र मिलें और मनोज व गुरप्रित सिंह "गोपी" जैसे आलोचक।


शरबजीतसिंह "काका" से सुफ़ी संत "बाबा बुल्ले शाह" के बारे में जानने का अवसर मिला। तद्पश्चात लेखक की कलम पुनः जागृत हुई और मित्रों से भरपूर सहयोग पाकर तेजी से फलने-फूलने लगी। लेखक ने अपनी अधिकांश रचनाऐं वहीं पर लिखी। ७६ प्रतिशत अंको से अधिस्नातक उत्तीर्ण करने के पश्चात लेखक ३ माह दिल्ली में रहे और फिर जयपुर। जयपुर में घटे एक अप्रत्याशित घटनाक्रम से आप संस्मरण लिखने को प्रेरित हुए और "वो तीस दिन" नामक संस्मरण लिखा।


लेखक ने कई बार अपनी कविताओं को प्रकाशनार्थ पत्रिकाओं को भी प्रेषित किया परन्तु सफलता नहीं मिली। अंततः अन्य चिठ्ठाकारो से प्रेरित होकर लेखक ने अपनी रचनायें क्रमबद्ध रूप से अपने चिट्ठे ॥शत् शत् नमन॥ पर अगस्त २००६ से प्रकाशित करना शुरू कर दिया। फिर एक दिन टहलते-टहलते परिचर्चा पहूँचे। वहाँ जीतु भाई के फोरम "हाइकु कविताओं का मुकाबला" पर नज़र पड़ी और आपने भी हाइकु लिखने का प्रयत्न किया जिसे चारो ओर से प्रशंसा मिली। इससे आप में एक नई उमंग पैदा हुई और "हाइकु - अनुभूति के चरम क्षण की कविता" नामक एक नए चिट्ठे का आगाज़ किया। आप अब तक ५० से ज्यादा हाइकु लिख चुके हैं। आपने "कवि-अकेला" नामक एक गुगल समुह का भी निर्माण किया।


वर्तमान में लेखक एक बहूराष्टीय कम्पनी में Network Engineer के पद पर कार्यरत हैं।


रचनायें- लेखक मूल रूप से आधुनिक कविताएँ ही लिखते हैं।